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Monday, 5 December 2016

"सदुपयोग"

एक राजा था। उसके तीन पुत्र थे। राजा जब वृद्ध हो चला तो उसने सोचा अब सही समय आ गया है जब मैं अपनी गद्दी अपने पुत्र को दे दूँ। राजा चिंतित था क्योंकि उसके तीन पुत्र थे और वो गद्दी उसे देना चाहता था जो राज-पाट अच्छे से चला ले।
तब राजा के दिमाग में एक उपाय सूझा उसने अपने तीनों पुत्रों को बुलाया और बोला- “मैं तुम तीनों को सौ-सौ रुपये दे रहा हूँ। और तीनों को एक-एक कमरा दे रहा हूँ। एक सप्ताह के अन्दर जो इन कमरों को पूरा भर देगा मैं उसे अपना उत्तराधिकारी बनाउँगा।“
तीनों भाई तैयार हो गए। बड़े बेटे ने सोचा- ‘पिताजी भी हद करते हैं, इतनी महंगाई के ज़माने में भला कौन ऐसी चीज होगी जिससे पूरा घर भर जाये उसका दिमाग काम ही नहीं कर रहा था। फिर उसने सोचा ठीक है मैं इन रुपयों से जुआ खेल लेता हूँ। फिर उनसे बहुत सारे पैसे जीतकर उन पैसों से घर भर दूंगा।‘ और जुआ खेलने चला गया और जो भी धन उसके पास था वो हारकर घर के पास आकार बैठ गया।
दूसरा भाई भी इसी सोच में था तो उसने क्या किया की पुरे शहर भर की गंदगी उस कमरे में भर दी। इससे जो भी उधर से गुजरता उसका सर चकराने लगता।
अब तीसरे की बारी आई तीसरे बेटे ने उस पैसों से बाजार से एक दीपक और इत्र ख़रीदा पुरे घर में इत्र छिड़क कर दीपक को जला दिया जिससे कमरा इत्र की सुगंध और दीपक की रौशनी से भर गया।
अब निर्णय का दिन आ गया राजा एक-एक करके तीनों के पास पहुंचा जब वो पहले बेटे के पास पंहुचा तो पहला बेटा अपने कमरे के दरवाजे में दुखी बैठा था तो राजा ने उससे उसका कारण पूछा तो उसने सारी बात बता दी। राजा बोला- “अगर मैं तुम्हे राज चलाने दूंगा तो तुम तो सारा राज्य जुए में हार जाओगे।“
फिर वो दुसरे बेटे के पास पंहुचा तो राजा को दुर्गन्ध से मितली आने लगी। राजा बोला- “ये दुर्गन्ध कहाँ से आ रही है?“
तो उसका बेटा बोला- “पिताजी! 1०० रुपये में मुझे यही सब मिला घर भरने के लिए तो मैंने कूड़े-करकट से घर को भर दिया।“
राजा वहाँ से भी दुखी होकर तीसरे बेटे के पास पहुंचा तो इत्र की सुगंध से उसे कुछ अच्छा लगा उसने अपने बेटे से पूछा- “तुमने क्या किया उन पैसों का?”
छोटे बेटे ने कहा- “मैंने आपके दिए पैसों से घर को दीपक की रौशनी और इत्र के सुगंध से भर दिया।“
राजा काफी प्रसन्न हुआ और अपनी राजगद्दी छोटे पुत्र को दे दी।
“दोस्तों!! ऐसे ही भगवान ने हमें इतना सुन्दर शरीर रूपी कमरा और १०० वर्ष की आयु दी है। हम इन्हें कैसे उपयोग करते हैं ये हम पर निर्भर है।“
‘कथा लेखक के प्रति आभार सहित’
"सदुपयोग"
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